जानिए कैसे मिलता है फसलों को भोजन ।
किसान भाइयों को कृषी में आनेवाली समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सक्षम SKSB Oraganics Pvt. Ltd. ।
मिट्टी की ताकत - किसान भाइयों, हम जिस मिट्टी में खेती कर रहे हैं, ये बहुत ही खास है, प्रकृति ने इस मिट्टी को इतना अदभुत बनाया है कि इसके अंदर जब बीज जाता है तो वह अंकुरता है, उसमें २ पत्ते उगते हैं और धीरे -धीरे वो बढ़ता है । विशाल वृक्ष बनता है। उसमें फल और फूल लगते हैं। इस सारी प्रक्रिया की ताकत प्रकृति ने इस मिट्टी में दी है ।
प्रकृति की कार्यप्रणाली - हमें आज लगने लगा है कि रासायनिक खाद डाले बिना खेती नहीं हो सकती परंतु प्रकृति की व्यवस्था बिलकुल इस तरह की बनाई गई है कि इसके अंदर यह प्रक्रिया अपने आप होती है। हम जानते हैं यदि गर्मी ज्यादा हो तो बरसात अच्छी होगी, अगर बरसात ज़्यादा आएगी तो ठंड ज्यादा होगी । कहीं अगर वृक्ष ज्यादा हैं, तो उन प्रदेशों में बरसात ज़्यादा होती है, या जिस भाग में ज़्यादा वृक्ष हैं, उस भाग में ज़्यादा वर्षा होती है | यह कुदरत की प्रणाली भी एक दूसरे पर आधारित है। एक चक्र के रूप में इसका कार्य चलता है, तात्पर्य यह कि हमारी मिट्टी में सभी प्रकार के पौधों को बड़ा करने की, फल-फूल देने की व्यवस्था प्रकृति ने बनाई है और इस प्रणाली को अगर हम समझते हैं तो हमें खेती करना काफी आसान हो जायेगा ।
बगैर रासायनिक खाद के जंगल में वनसंपदा का विकास - किसान भाइयों, आप किसी जंगल में जाइए वहाँ हमें बड़े- बड़े विशाल वृक्ष देखने को मिलते हैं, छोटे-छोटे पौधे देखने को मिलते हैं, फल के पेड़ों में जो फल लगे हुए हैं, उन पर कोई व्यक्ति किसी रासायनिक दवाईयों का छिड़काव करने नहीं गया था परंतु उस फल के पेड़ में लगे बड़े-बड़े फल हमें कीड़ और रोग से मुक्त नज़र आते हैं। ऐसे फलों को हम तोड़कर खा सकते हैं, और वहाँ के स्थानिक लोग उन फों को तोड़कर बाजार में बेचने भी आते हैं। किसान भाइयों, क्या उस जंगल में कोई 'एन पी के 'डालने गया था ? ना आप गए थे ना सरकार, यह मुमकिन भी नहीं है। जब बिना 'एन पी के 'के वहाँ फसल उगती है तो हमारी खेती में 'एन पी के 'डालना क्यों आवश्यक है ? इस बात को आप अच्छे से समझ लेते हैं तो खेती करना हमारे लिए काफी आसान हो जायेगा ।
मिट्टी की सजीवता - किसान भाइयों, हमारी मिट्टी सजीव है इस दुनिया के अंदर जो भी कुछ है, वह एक दूसरे पर आधारित है । हम कहते हैं, "जीव जीवात जायते, जीवे जीवष्य जीवनम्" अर्थात एक जीवन पर दूसरा जीवन आधारित है। हमारी इस मिट्टी के सजीव होने को पूर्वजों ने अच्छी तरह पहचाना था, हमारे पूर्वज इसे धरती माँ कहते थे, हम भी धरती माँ कहते हैं। हमने जितने भी नाते जोड़ें हैं, वो निर्जीव के साथ नहीं हैं, सभी सजीव के साथ हैं। एक तालाब में पानी भरा है पर उसमें हलचल नहीं है तो उससे हम नाता नहीं जोड़ते, परंतु नदी जिसमें पानी बहता है उसे हम गंगा माँ माँ नर्मदे कहते हैं, हमने उसके साथ एक नाता जोड़ा है। उसी तरह से हमारे पूर्वजों ने मिट्टी की ताकत को पहचाना था, इस मिट्टी की सिस्टम और सजीवता को पहचाना था और माँ कहा था तो किसान भाइयों ये मिट्टी सजीव है, और सजीव के साथ हमने जो व्यवहार किया है, उसकी वजह से ही हमें आज कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
मिट्टी परीक्षण क्या है- खेत की मिट्टी में पौधो की समुचित वृध्दि एवं विकास हेतु आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्ध मात्राओं का रासायनिक परीक्षणों द्वारा आंकलन करना साथ ही विभिन्न मृदा विकास जैसे मृदा लवणीयता, क्षारीयता एवं अम्लीयता की जांच करना मिट्टी परीक्षण कहलाता है ।
मिट्टी परीक्षण की आवश्यकता - पौधो की समुचित वृध्दि एवं विकास के लिये सर्वमान्य रूप से सोलह पोषक तत्व आवश्यक पाये गये है। यह अनिवार्य पोषक तत्व है। कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्निशियम एवं सल्फर ( मुख्य या अधिक मात्रा में लगने वाले आवश्यक पोषक तत्व) इन पोषक तत्वों में से प्रथम तीन तत्वों को पौधे प्रायः वायु व पानी से प्राप्त करते है तथा शेष 13 पोषक तत्वों के लिये ये भूमि पर निर्भर होते है। सामान्यतः ये सभी पोषक तत्व भूमि में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध रहते है। परन्तु खेत में लगातार फसल लेते रहने के कारण मिट्टी से इन सभी आवश्यक तत्वों का ह्रास निरन्तर हो रहा है। असन्तुलित पौध पोषण की दशा में फसलो की वृध्दि समुचित नहीं हो पाती तथा पौधो के कमजोर होने एवं रोग व्याधि, कीट आदि से ग्रसित होने की सम्भावना अधिक रहती है। परिणामस्वरूप फसल उत्पादन कम होता है इसके अतिरिक्त उर्वरक भी काफी महंगे होते जा रहे है। अतः इन पोषक तत्वों को खेत में आवश्यकतानुरूप ही उपयोग करना जिससे खेती लाभदायक बन सकती है। खेतो में उर्वरक डालने की सही मात्रा की जानकारी मिट्टी परीक्षण द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है। अतः मिट्टी परीक्षण उर्वरकों के सार्थक उपयोग एवं बेहतर फसल उत्पादन हेतु नितान्त आवश्यक है।
मिट्टी परीक्षण के उद्देश्य-
मिट्टी परीक्षण सामान्यतया निम्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिये किया जाता है|
मिट्टी में पोषक तत्वों के स्तर की जांच करके फसल एवं किस्म के अनुसार तत्वों की सन्तुलित मात्रा का निर्धारण कर खेत में खाद एवं उर्वरक मात्रा की सिफारिश हेतु ।
मृदा अम्लीयता, लवणीयता एवं क्षारीयता की पहचान एवं सुधार हेतु सुधारको की मात्रा व प्रकार की सिफारिश कर इन जमीनो को कृषि योग्य बनाने हेतु महत्वपूर्ण सलाह एवं सुझाव देना ।
फल के बाग लगाने के लिये भूमि की उपयुक्तता का पता लगाना ।
मृदा उर्वरता मानचित्र तैयार करने के लिये। यह मानचित्र विभिन्न फसल उत्पादन योजना निर्धारण के लिये महत्वपूर्ण होता है तथा क्षेत्र विशेष में उर्वरक उपयोग संबंधी जानकारी देता है।
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1) भारत की संसद ने दिसम्बर 1985 में "कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात प्राधिकरण" की वाणिज्य एवम उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत स्थापना की थी, इसका नेटिफिकेशन दिनांक 13-01986 को जारी हुआ।
2) रासायनिक खाद तथा दवाओं के उत्पादन पर नियंत्रण के लिए भारत सरकार की दो कार्यरत हैं, पहली सेंट्रल इंसेक्टिसाइड बोर्ड और दूसरी फर्टिलायझर कंट्रोल ऑर्डर, ये दानों संस्था रासायनिक उत्पादनों को लायसन्स देती है, ऑर्गनिक उत्पादों के लिए किसी भी प्रकार के लायसन्स की व्यवस्था भारत सरकार ने नहीं की है, मतलब ऑर्गनिक उत्पाद लायसन्स मुक्त रखे है।
3) कृषि उत्पादों से सम्बंधित सभी कायदे भारत सरकार के हैं, किसी भी राज्य सरकार ने कृषि उत्पादों से सम्बंधित कोई कायदा नहीं बनाया है।
4) जिन रासायनिक खाद या दवा निर्माता कंपनियों को भारत सरकार लायसन्स देती है, उनके निर्माण तथा वितरण पर देखरेख राज्य सरकार करती है।
5) आपकी कंपनी के उत्पाद बेचने, स्टॉक करने से आपको कोई नहीं रोक सकता, इन उत्पादों को दुकान में भी बेचा जाता है, ये उत्पाद लायसन्स मुक्त होने के कारण, आपको किसी से भी लायसन्स लेने की आवश्यकता नहीं है।
6) आपकी कंपनी के उत्पाद भारत भर बडी संख्या में खेती बाड़ी की ऑर्गनिक दुकानों पर बेचे जा रहे हैं, जिनको किसी भी राज्य सरकार ने प्रतिबंधित नहीं किया है।
7) रासायनिक खाद तथा दवाइयां बेचने वाली दुकानों पर भी आपकी कंपनी के उत्पाद बेचे जा रहे हैं।